07.मुस्लिम बैतुलमालऔर जकात
07.मुस्लिम बैतुलमाल और जकात
मुस्लिम समाज जकात के नाम पर अपनी वार्षिक आय या इनकम पर सरकारी टैक्स के साथ साथ 2.5% भाग जो प्रति 100 रूपये पर 2 रुपये, 50 पैसे होता है दान करता है और इसीलिए उन्नतिशील है।
और यह कुरान में नहीं लिखा है बल्कि यह एक सिर्फ राजनीतिक फरमान है।
आप इस से अनुमान लगा सकते हैं उनकी कट्टरता का फायदा जो उन्हें मिल रहा है।
जकात के मिले पैसे बैतुलमाल में जमा किए जाते हैं और वहां से उन्हें बिना ब्याज दर में लोन दिया जाता है वह जब वह वापस करता है तो कुछ ज्यादा दान करके ब्याज का औसत पूरा कर देता है।
यदि आप तैयार हैं, आज ही हमें 7 रूपये का भुगतान करें व मेंबर बने।
जिंदगी में ये हुनर भी आजमाना चाहिए,।
अपनों से हो जंग तो हार जाना चाहिए।
यह सब कुछ इसलिए समझाने की कोशिश रहा हूं क्योंकि मेरे सामाजिक ज्योतिषियों की भविष्यवाणी है कि यह कार्य सफल नहीं होगा क्योंकि हिन्दू वर्ग का संगठन मेंढ़कों को तराजू में तौलने की कोशिश की तरह है।
इस धारणा को ग़लत सिद्ध करने की कोशिश करना है
बातें बहुत सी कहीं जा सकती हैं सत्य स्थितियों को समझाने के लिए।
लेकिन कितने लोग ऐसे होंगे जो स्थितियों को समझकर समझदारी और संयम से मोदी काल का सदुपयोग करने की भावना के समर्थन में सहयोग करके हिन्दुत्व को एक नया आयाम देना चाहेंगे।
बिना लड़े हार नहीं माननी है,
कुछ न करने से अच्छा होता है,
कुछ करने की कोशिश करें और
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
सत्संग से विवेक की जाग्रति होती है तो क्या हम सोशल मीडिया पर भी सत्संग नहीं कर सकते।