03.अजमेर शरीफ पर गीता ज्ञान
यजन्ते सात्त्विका देवान्यक्षरक्षांसि राजसाः।
प्रेतान्भूतगणांश्चान्ये जयन्ते तामसा जनाः৷৷17.4৷৷
भावार्थ : सात्त्विक पुरुष देवों को पूजते हैं,
राजस पुरुष यक्ष और राक्षसों को तथा अन्य जो तामस मनुष्य हैं,
वे प्रेत और भूतगणों को पूजते हैं ৷৷17.4॥
और अजमेर शरीफ एक मजार है जहां हम भूत काल में जीवित जो अब मर चुके हैं वह सब भूतकाल के होने के होने की वजह से भूत कहे और माने जाते हैं।
यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत्।
उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम्৷৷17.10৷৷
भावार्थ : जो भोजन अधपका, रसरहित, दुर्गन्धयुक्त, बासी और उच्छिष्ट है तथा जो अपवित्र भी है, वह भोजन तामस पुरुष को प्रिय होता है ৷৷17.10॥
विधिहीनमसृष्टान्नं मन्त्रहीनमदक्षिणम्।
श्रद्धाविरहितं यज्ञं तामसं परिचक्षते৷৷17.13৷৷
भावार्थ : शास्त्रविधि से हीन, अन्नदान से रहित, बिना मन्त्रों के, बिना दक्षिणा के और बिना श्रद्धा के किए जाने वाले यज्ञ को तामस यज्ञ कहते हैं ৷৷17.13॥
और उपरोक्त संस्कार किस धर्म में पाये जाते हैं।
नुपुर कांड के बाद कुछ बड़े सच सामने आये है।
कैसे हिन्दूओं के धन से उन्ही की गर्दन काटने की सुपारी देकर हिन्दूओं को डराया व धमकाया जाता है।
कन्हैया कांड़ के अजमेर लिंक और वहां की बयानबाजी ने यह सिद्ध कर दिया है।
अजमेर में अब एक भी हिंदू जब नहीं गया तो मजबूर हो कर बड़ी राजनीतिक चालाकी या
से सद्भावना रैली निकाली गई।
कारण सब पैसा है पैसा मिलना कम या कहें काफी कम जब हो गया तो दिमाग ठिकाने आ गया।
अब हम तय कर लें कि यह नहीं करेंगे कि
1.आर्थिक बहिष्कार चीनी सामानों का व देशद्रोही दुश्मन लोगों का।
2.हमारा हिन्दू धर्म ही मना करता है मजार की पूजा करने को।
3.हालात यह है अब यह सब क्या दोस्ती वो विश्वास के लायक हैं जानवर भी इंसानियत व दोस्ती निभाते रहे हैं
तो ऐसे दोस्त व उनको दी जाने वाली शिक्षा व नसीहतें तो जानवरों से भी गयी गुजरी है। आस्तीन का सांप कहना सांप का अपमान होगा।
घृणा का नमूना में एक वीडियो देखने को मिला जब
1.होटल पर रोटी बनाने वाला रोटी लगाने से पहले उस पर थूक कर फेंक रहा है।
2.हबीब हेयर सैलून में बाल काटते समय सिर पर थूक रहा है।
3.चाइना हमारी सीमाओं में घुस पैठ कर रहा है और धमका भी रहा है साथ ही करोड़ों रुपए की कमाई भी हम से ही करता है।
ऐसा क्यों है
क्योंकि सारी दुनिया जान गई है कि हमलोग बहुत बेवकूफ हैं।
क्योंकि बेवकूफ बनाने के लिए इन्हीं से पैसा कमाओ और इन्हें मारो भी कोई नहीं बोलने वाला।
प्रधानमंत्री की अपील आयी थी कि अगर तीन महीने तक हम सब चाइना के सामान 90 दिनों तक न खरीदें तो एक क्रांति हो सकती है।
और हमें कोरोनावायरस ने सिखाया कि 180 दिनों तक हम लोग अपनी जरुरतों को पूरा न करें तो हम मर नहीं जायेंगे।
बल्कि बहुत कुछ कंट्रोल में आ जायेगा।
टीवी पर सारी दुनिया दिखा रही है कि ग्लेशियर पिघल रहे हैं समुद्र का लैबिल ऊंचा हो सकता है 20 मीटर तक। समुद्र किनारे के तमाम शहर द्वारिका बन जायेंगे।
लेकिन हम 90 दिनों की सब बंदी करने को तैयार नहीं हैं अगर आम जनता खपत कम करें या सरकार बंदी लागू करे तभी संभव है।
आदमी को कितना रुपया चाहिए जीवित रहने के लिए 7 करोड़ का बैंक बैलेंस का ब्याज पूरे शान्ति पूर्ण जीवन के लिए पर्याप्त है।
इससे ज्यादा होने पर गरीब किसान जो लोन डिफाल्टर है या उच्च शिक्षा विद्यार्थीयों को बिना ब्याज या काफी कम दर पर दिया जा सकता है।
लेकिन रुपयों से कमरे भरे हैं कितनों में दीमक लग जाती होगी पता नहीं।
अभाव है संगठन का पैसा किसे दे यह पता करना भी असंभव है कि किसे जरुरत है।
और यही तंत्र विकसित करना चाहता हूं संगठन बना कर।